टिमटिमाती लौ जिसकी ,रात भर रही
जलाता रहा उसे ,उसके पास जो गया।।
जलाता रहा उसे ,उसके पास जो गया।।
एक रेशमी किरण ,इस तरह से आई
टूट गये सपने ,कि दिन हो गया।।
टूट गये सपने ,कि दिन हो गया।।
बंद आँखों में, हमसफ़र साथ था
करवटें बदलते ही ,कहाँ वो खो गया।।
करवटें बदलते ही ,कहाँ वो खो गया।।
रौशनी चिराग का कम जो हो गया।
जाग गये हम और ज़माना सो गया।।
जाग गये हम और ज़माना सो गया।।
-------Sriram Roy