पिता आप हैं देव हमारे
संस्कार हमें दे देते हैं ।
हम शीश नवाते चरणों में
जो देते हैं ले लेते हैं ।।
देना है तो मुझे दीजिए
मोबाइल के बदले घड़ी एक ।
समय देख कर करता रहूँ
काम एक से बढ़कर एक ।।
समय से सोना समय से जगना
समय बहुत अनमोल है ।
समय को रखूंगा मुट्ठी में
मोबाइल झोल ही झोल है।।
पिता आप हैं देव हमारे
संस्कार हमें दे देते हैं ।
हम शीश नवाते चरणों में
जो देते हैं ले लेते हैं ।।
@श्रीराम रॉय
योगदिवस और पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
ईश्वर चंद्र जायसवाल, शिक्षक, केन्द्रीय विद्यालय l