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मुंशी प्रेमचंद महोत्सव, रचना शीर्षक:- *बादल* *बाल कविता*-विकास रोहिल्ला


 *बादल*

 *बाल कविता*

जब गरज कर बादल आये, 
कितनी खुशियां संग में लाये, 
गरजे बादल बिजली कडकाते, 
संग में अपने वर्षा लाये!!

बागो में मोर शोर मचाये, 
सबके मन को कितना भाये, 
मधुर संगीत सुनाते बादल, 
बारिश लेकर बादल आये!! 

धरती की गर्मी दुर भगाये, 
बंजर धरती को ऊपजाये, 
बूँदे बरसी बनकर मोती, 
जन जीवन में खुशिया लाये!! 

सचमुच जीवन दाता बादल, 
इनसे बहता नदियो में जल, 
अगर नहीं आये बादल तो, 
जीना मुश्किल हैं एक भी पल!! 

गगन में काले बादल छाये, 
इन्हे देखकर सब हर्षाये, 
राहत की साँसे ली सबने, 
जो गर्मी से गये सताये!! 

*विकास रोहिल्ला रोहतक* ✍🏻

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