Type Here to Get Search Results !

मुंशी प्रेमचंद महोत्सव, कविता, मेहनत -डॉ एन के सेठी


मेहनत
विधा-सार छन्द

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

व्यर्थ न बैठो काम करो तुम
      मेहनत से न भागो।
आलस छोड़ो करो परिश्रम
       सभी नींद से जागो।।

कर्म करो परिणाम न देखो
  अपना भाग्य बनाओ।
मेहनत  से  आगे  बढ़ो तुम
  जीवन सफल बनाओ।।

आए हम सब इस दुनिया में
     कर्म सभी करने को।
मेहनत करें सब मिलकर हम
     जग नही विचरने को।।

खुश होते भगवान सदा ही
   हिम्मत सदा दिखाओ।
करो परिश्रम जीवन में तुम
      आगे बढ़ते जाओ।

मिलता मेहनत से सभी को
      जीवन उन्नति पाए।
बढ़े  सदा  हिम्मत  से आगे
      भाग्य बदलता जाए।।

हर एक संकट मेहनत से
    हल हो ही जाता है।
जीवन में पुरुषार्थ सदा ही
    मान यहाँ पाता है।।

जीवन का  पर्याय मेहनत
   इससे सबकुछ होता।
करता जोआलस्य यहाँ पर
  वह सब कुछ है खोता।।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

               ©डॉ एन के सेठी

एक टिप्पणी भेजें

6 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Dr ramesh c saini ने कहा…
उत्तम सृजन
Dr.N.K.Sethi ने कहा…
अति उत्तम रचना 👌👌
Dr N K SETHI ने कहा…
धन्यवाद
Dr.N.K.Sethi ने कहा…
बहुत खूब