होली में हुड़दंग ना होवे
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जो भी संकट आएगा
हम उसको दूर भगाएंगे।
अपने दोस्तों से मिलकर
हम होली आज मनाएंगे।।
रंग गुलाल की बारी आई
गली मोहल्ले खुशियाँ छायी।
एक दूजे को रंग लगाकर
गले मिलेंगे हमसब भाई।।
नफरत की दीवार गीराकर
दुश्मन को भी दोस्त बनाते ।
दोस्तों और मेहमानों को हम
पूए और पकवान खिलाते ।।
ढोलक और मृदंग बजाते
झूमकर होली गाते हैं ।
तरह -तरह के रंगे चेहरे
एक दूजे को भाते हैं ।।
होली में हुड़दंग न होवै
कोई किसी से तंग न होवै ।
हँसी ठिठोली प्रेम मिलन के
बीच किसी से जंग न होवै ।।
कवि --प्रेमशंकर प्रेमी ( रियासत पवई )औरंगाबाद
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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