जज्बातों की अभिव्यक्ति
हम नादान हैं कुछ भी सुना देते हैं
इल्म वाले इसे तूफान बना देते हैं
लोग शरारा को शोले बना देते हैं
और आप हौसलों को बुझा देते हैं
होठों पर हंसी गम को छुपाती हूं
अश्क मेरे गम के राज बता देते हैं
आसान नहीं है यू मंजिल को पाना
कोई रहबर मुझे राह दिखा देते हैं
तूही मुंसिफ तू गवाह ए मेरे खुदा
औलाद कोक्यों अपनी सजादेते हैं
डॉ बीना "रागी"
छत्तीसगढ़
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कोई रहबर मुझे राह दिखा देते हैं
वाह…!