माँ भारती की वन्दना
सबसे सुंदर सबसे प्यारी, ये माटी मेरे देश की।
मै झुक झुक इसको नमन करूं, जय हो माटी देश की।।
इसे उठा माथ लगाऊ, इससे चंदन को लजवाऊ।
पतित पावन है ये माटी, सौरभ दायिनी देश की।।
इसके खातिर जाने कितने, वीर शहीद बलिदान हुए।
सबने इसे मां सा चाहा, जय हो इसके परिवेश की।।
जिसने पाया आंचल तेरा, उसने पाया सुख धनेरा।
राम कृष्ण की कर्मभूमि है, यह गीता के संदेश की।।
दुर्गा लक्ष्मी की ये जन्मभूमि, जिस पर हमको गुमान है।
राणा शिवा की इष्ट देवी, यह धरा उमा महेश की।।
विविध धर्मों ने मर्म सिखाएं, देखो कितने ही प्यारे।
गंगा जमुनी प्यारी तहजीब, कीर्ति मनोहर देश की।।
कवि मनोहर सिंह चौहान मधुकर
जावरा जिला रतलाम मध्य प्रदेश