प्यारी सी बच्ची शिखा गोस्वामी के जन्मदिन १४ नवंबर पर विशेष
प्यारा सा यह दिन आया
कितना पावन क्षण था वह ,
जब आंगन में गूंजी किलकारी।
नन्हीं सी एक परी के स्वर से,
मात पिता थे हुए बलिहारी।।
नन्हे नन्हे पैरों से जब वो,
ठुमक ठुमक कर चलती थी।
मानो बजे हों मंदिर की घंटी ,
ध्वनि ऐसी मीठी लगती थी।।
उसकी तोतली बोली पर तो,
दादा दादी संग थे सब न्योछावर।
उसकी मोहक छबि थी ऐसी,
ज्यों धरा पर परी आई हो उतर ।।
आज है वही दिवस ये प्यारा,
जब परी आई थी आकाश से।
और खिल गया था गृह आंगन,
उसके मोहक स्वर्णिम प्रकाश से।।
इसी बाल दिवस के दिन हैं जन्मी,
हम सबकी प्यारी नन्ही शिखा।
ज्ञान मूर्ति वागेश्वरी का रूप,
था जिसके हृदय रचा बसा।।
फूले फले और मुस्काए ये,
अपने घर के उपवन में।
और मृदु चहक से भरे आनंद,
अपनों के तन मन जीवन में।।
अनंत ऊंचाइयां मिले इसे,
अंतरिक्ष तक हो इसकी डोर।
इसकी ऊंचाई से हो गर्व हमें,
पर बांध रखे ये देश से डोर।
पर बांध रखे ये देश से डोर।।
शुभेच्छु
ममता श्रवण अग्रवाल
सतना